नागरिकता अधिनियम,1955 के अंतर्गत धारा 3,4,5(1) और 5(4) के अनुसार भारतीय नागरिता चार पैमानों पर दी जाती है. इसमें जन्म, पंजीकरण, वंश और रहने के आधार शामिल हैं.
जन्म के आधार पर नागरिकता
26 जनवरी 1950 से 1 जुलाई 1987 के बीच भारत में पैदा हुए लोगों को उनके माता-पिता की नागरिकता का ख्याल करे बिना भारतीय माना जाता है. भारत में जन्म लेने वाले हर उस व्यक्ति को भारतीय माना जाता है, जो 1 जुलाई 1987 से 2 दिसंबर 2004 के बीच पैदा हुआ है.भले ही उसके माता-पिता उसके जन्म के समय किसी और देश के नागरिक क्यों न हों. 3 दिसंबर 2004 या उसके बाद देश में जन्म लेने वाले लोग भी भारतीय माने जाते हैं, जिनके अभिभावक भारतीय होते हैं या फिर उसके माता-पिता में से एक बच्चे के जन्म के वक्त भारतीय हो, जबकि दूसरा अवैध प्रवासी नहीं होना चाहिए.
पंजीकरण के आधार पर
भारतीय नागरिकता पंजीकरण के आधार पर भी हासिल की जा सकती है. भारतीय मूल का व्यक्ति, जो देश में नागरिकता के लिए आवेदन करने के सात- साल पहले तक यहां रहा हो. भारतीय मूल का वह व्यक्ति जो अविभाजित भारत के बाहर किसी देश का नागरिक हो.वह व्यक्ति जिसकी शादी किसी भारतीय नागरिक से हुई हो और वह नागरिकता के आवेदन करने के सात साल पहले से देश में रह रहा हो.नाबालिग बच्चे, जिनके माता-पिता भारतीय हों.
वंश के आधार पर
भारत के बाहर किसी भी देश में 26 जनवरी 1950 या उसके बाद जन्म लेने वाला व्यक्ति तब भारतीय माना जाएगा, जब उसके पिता नागरिकता के आधार पर भारतीय रहे हों.
भारत के बाहर 10 दिसंबर 1992 या उसके बाद से 3 दिसंबर 2004 के बीच पैदा हुआ भी भारतीय माना जा सकता है लेकिन तभी जब उसके पिता जन्म से भारतीय हों.
3 दिसंबर 2004 या उसके बाद देश के बाहर पैदा हुए व्यक्ति को नागरिकता तब मिलेगी, जब उसके माता-पिता यह स्पष्ट करेंगे कि उनके नाबालिग बच्चे के पास किसी अन्य देश का पासपोर्ट नहीं है. साथ ही बच्चे का पंजीकरण जन्म के एक साल के भीतर भारतीय वाणिज्य दूतावास में करा दिया जाए.
भारत में रहने की अवधि के आधार पर
देश में रहने के आधार पर कोई भी व्यक्ति देश की नागरिकता हासिल कर सकता है. बशर्ते वह 12 सालों तक देश में रहा हो और नागरिकता अधिनियम की तीसरी अनुसूची की सभी योग्यताओं पर खरा उतरता हो.
भारत सरकार अब नागरिकता संशोधन बिल 2019 लोकसभा में पेश करने जा रही है, जिसके तहत अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश के अवैध प्रवासियों को नागरिकता दी जा सकेगी. हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई अवैध प्रवासियों को इस बिल से फ़ायदा मिलेगा. मुसलमानों को इस बिल के बाहर रखा गया है. यह पहली बार है जब सरकार धार्मिक आधार पर नागरिकता देने की तैयारी कर रही है.