Rajsthan:मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गृह नगर जोधपुर मे 146 बच्चों की मौत

राजस्थान के कोटा के जेके लोन अस्पताल में बच्चों की मौतों का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है। अब तक 110 बच्चों की मौत हो चुकी है। इसी बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गृह नगर जोधपुर से भी 146 बच्चों की मौत का मामला सामने आया है। इसके अलावा वसुंधरा राजे के झालावाड़ में 55 बच्चों की मौत हो गई। बीकानेर में 162 और बूंदी में 10 मासूम जिंदगी की जंग हार चुके हैं।


जोधपुर के अस्पताल की रिपोर्ट के अनुसार अकेले दिसंबर, 2019 में 146 बच्चों की मौत रिकॉर्ड हुई है। राजस्थान के जोधपुर संभाग के सबसे बड़े अस्पतालों में से एक एसएन मेडिकल कॉलेज के बाल रोग विभाग ने पिछले महीने हर दिन लगभग पांच बच्चों की मौत दर्ज की गई। कोटा में शिशुओं की मौत के बाद मेडिकल कॉलेज द्वारा तैयार रिपोर्ट में यह बात सामने आई है।


मेडिकल कॉलेज मथुरा दास माथुर अस्पताल और उमेद अस्पताल में बाल रोग विभाग संचालित करता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि बच्चों के मरने की संख्या इसलिए ज्यादा है क्योंकि सुदूर क्षेत्रों में रहने वाले मरीज समय पर अस्पताल नहीं पहुंच पाते हैं। अकेले 2019 में 754 बच्चों की मौत हुई है यानी हर महीने औसतन 63 बच्चों ने दम तोड़ा। हालांकि अचानक दिसंबर में बच्चों की मौत का आंकड़ा 146 तक बढ़ गया है।


वहीं झालावाड़ के श्री हीरा बां कवर व जनाना चिकित्सालय में एनआईसीयू ओआईसी यूनिट में 60 -65 शिशु भर्ती हुए। अकेले दिसंबर के महीने में लगभग 650 शिशु आईसीयू और इन आईसीयू में भर्ती हुए जिनमें से 55 की मौत हो गई। आईसीयू और एनआईसीयू जैसे यूनिट में भी उपकरणों की हालत यह है कि गर्मी देने वाले चार उपकरण पिछले कई महीनों से खराब पड़े हैं।


बीकानेर के सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज, प्रिंस बिलयसिंह मेमोरियल (पीबीएम) अस्पताल के प्रिंसिपल एचएस कुमार ने कहा, 'यहां दिसंबर के महीने में 162 बच्चों की आईसीयू में मौत हुई है। लेकिन अस्पताल में चिकित्सा सेवाओं में कोई लापरवाही नहीं हुई है। जिंदगी बचाने के लिए पूरी कोशिशें की जा रही हैं।'


सचिन पायलट बोले – तय होनी चाहिए जवाबदेही


सचिन पायलट ने कहा कि इस मामले में जिस तरह की बयानबाजी हुई है वह सही नहीं है। मुझे लगता है कि इस मामले में हमारी प्रतिक्रिया संवेदनशील और दयापूर्ण होनी चाहिए थी। 13 महीने सरकार चलाने के बाद इस बात का कोई मतलब नहीं है कि पुरानी सरकार की कमियों को जिम्मेदार माना जाए। इस मामले में जवाबदेही तय होनी चाहिए।