अपनी पढ़ाई के लिए अमीरों के कुत्ते घुमाने वाले मुरैना के रहने वाले आईपीएस की कहानी

'लड़ा वही जो हारा नहीं’ यह टैग लाइन है एक किताब ‘ट्वेल्थ फेल’ की। यह किताब एक ऐसी किताब है उन लाखों लोगों के लिए जो लड़ते हुए हार मान लेते हैं। नियो लिट पब्लिकेशन से छपी इस किताब को लिखा है अनुराग पाठक ने। अनुराग पाठक खुद एक जीएसटी के डिप्टी कमिश्रनर हैं। यह कहानी कोई कल्पना की कहानी नहीं है। यह एक वास्तविक कहानी है, जिसे किसी ने जिया है। एक ऐसे लड़के की जो बारहवीं में फेल होकर भी यूपीएससी एग्ज़ाम पास कर जाता है।अपनी


बारहवीं का एग्जाम था। उस दिन मनोज कुमार के स्कूल में नक़ल नहीं हुई। एसडीएम साहेब स्कूल पर आकर बैठे ही रह गए। गणित का पेपर था। मनोज इसमें फेल हो गए। उस दिन मनोज को एक अधिकारी के पावर का अहसास हुआ। इस किताब में मनोज की काहनी यहीं से लिखी गई है। मनोज मध्यप्रदेश के मुरैना से हैं। फेल होने के बाद मनोज टेम्पों में कंडक्टरी का भी काम किए। एक दिन टेम्पों को गलत तरीके से थाने में बंद कर दिया गया। अपनी टेम्पों को छुड़वाने के लिए मनोज फिर उसी एसडीएम के पास गए जिन्होंने ने नक़ल रुकवा दी थी। वहां उनकी पावर देख मनोज ने ठान लिया कि उन्हें सिविल सेवा में ही जाना है।


मनोज की कहानी एक ऐसी कहानी है जो फर्श से अर्श तक की सफर को तय करने का हिम्मत देती है। भूमिका लिखते हुए विकास दिव्यकीर्ति लिखते हैं- ”मेरा दावा है कि इस उपन्यास को ठीक से पढ़ लेने के बाद आप ठीक वही इंसान नहीं रहेंगे जो इसे पढ़ने के पहले थे। आप पाएंगे कि आपके अंदर कुछ बुरा था जो पिघल गया है, कुछ अच्छा था जो मजबूत हुआ है”।


यूपीएससी की तैयारी करते हुए मनोज ने दिल्ली में अमीरों के कुत्ते भी घुमाए। और जब कमाल किया तो पूरी दुनिया को ही उलट-पुलट दिया। किसी पद को पा लेने के बाद एक दम से लोगों का नजरिया कैसे बदल जाता है इस बात को मनोज ने रिजल्ट आने के बाद ही महसूस कर लिया। मनोज और उनकी प्रेमिका 'श्रद्धा' रिजल्ट देखने गए थे। दरवाजे पर खड़े गार्ड ने धक्का देकर लाइन में लगने को कहा। रिजल्ट के ठीक बाद उसे गार्ड ने मनोज को सलामी भी ठोकी।


इस किताब में यह बताने की कोशिश की गई है कि, ‘अगर किसी भी काम को बेहद ईमानदारी पूर्वक किया जाये तो उस काम को पूरा होने से कोई रोक नहीं सकता’।