मंदिर के लिए होगा श्री सीताराम नाम महायज्ञ, देश-विदेश से अयोध्या पहुंचेंगे लाखों भक्त

दिल्ली:


भव्य श्रीराम मंदिर निर्माण की बाधाओं को दूर करने के लिए सिद्ध संतों की उपासना स्थली रही फटिक शिला आश्रम में 17 फरवरी से श्री सीताराम नाम जप महायज्ञ का आयोजन होगा। इसमें देश-विदेश के लाखों राम भक्त जुटेंगे। 



महायज्ञ में 1500 नाम जापकों द्वारा 54 कीर्तन कुंजों में राममंत्र का अनवरत जाप किया जाएगा। नौ दिवसीय अनुष्ठान का समापन 26 फरवरी को होगा। महायज्ञ में सीएम योगी आदित्यनाथ भी शामिल हो सकते हैं।



महायज्ञ के संयोजक महंत सुखदेव दास के अनुसार शीघ्र राममंदिर निर्माण एवं बाधाओं के निवारण की कामना के लिए श्रीराम नाम महायज्ञ किया जा रहा है। तपस्वी संत नारायण दास उर्फ बगही बाबा की 103वीं जयंती व महंत रामाज्ञा दास की स्मृति में 17 से 26 फरवरी तक श्री सीताराम नाम जप महायज्ञ का आयोजन मंदिर के महंत शुकेदव दास की अध्यक्षता में होने जा रहा है। 



फटिक शिला आश्रम के महंत व सीताराम नाम महायज्ञ के संयोजक सुखदेव दास ने बताया कि महायज्ञ में आश्रम की शिष्य परंपरा से जुड़े देश-विदेश के करीब एक लाख भक्त आएंगे। उन्होंने बताया कि आश्रम में 23 वर्षों बाद सीताराम नाम जप महायज्ञ का आयोजन किया जा रहा है। 
इससे पूर्व राममंदिर निर्माण के लिए 1997, 1992 में भी सीताराम नाम महायज्ञ का आयोजन बगही बाबा के सानिध्य में हुआ था। बगही बाबा की गणना रामनगरी के तपस्वी संतों में होती रही वे आजीवन राममंदिर निर्माण की कल्पना को लेकर संघर्षरत रहे।



राममंदिर के लिए तराशे गए पत्थरों की उपयोगिता पर मंथन तेज


राममंदिर ट्रस्ट में फिलहाल जिन 9 सदस्यों को जगह दी गई है उनमें विहिप का एक भी सदस्य नहीं है। इससे सवाल उठता है कि अयोध्या में विहिप की कार्यशाला में राममंदिर के लिए तराशे गए पत्थरों का भविष्य क्या होगा। साथ ही राममंदिर के लिए तराशे गए पत्थरों की उपयोगिता पर मंथन भी तेज हो गया है। इन पत्थरों का राममंदिर में किस तरह प्रयोग किया जाएगा ये अभी भविष्य के गर्भ में है।
लेकिन, इतना तय है कि राममंदिर के लिए तराशे गए पत्थरों की उपयोगिता अब नवगठित ट्रस्ट को ही तय करनी है। हालांकि, विहिप को अब भी उम्मीद है कि राममंदिर उनके प्रस्तावित मॉडल एवं तराशे गए पत्थरों से ही बनेगा। क्योंकि, करोड़ों रुपये लागत वाले इन पत्थरों को इसी के हिसाब से तराशा गया है। अमित शाह कह चुके हैं कि अयोध्या में बनने वाला मंदिर गगनचुंबी होगा।



इसके बाद से ही विहिप के मॉडल की लंबाई-चौड़ाई पर सवाल उठने लगे थे। अब ट्रस्ट में विहिप के एक भी प्रतिनिधि को शामिल नहीं किए जाने के बाद तराशे गए इन पत्थरों की उपयोगिता भी सवालों के घेरे में आ गई है। ऐसे में अटकलें लगाई जा रही हैं कि नवगठित ट्रस्ट इन पत्थरों को दान में लेकर मंदिर निर्माण में उपयोग कर सकता है। राममंदिर के लिए अब तक एक लाख दस हजार घनफुट पत्थरों को तराशा जा चुका है।



लाखों भक्तों की भावनाएं हैं जुडीं
विहिप के प्रांतीय मीडिया प्रभारी शरद शर्मा के अनुसार, हमारी मंशा है कि आम जनमानस की भावना के अनुरूप ही इन पत्थरों का उपयोग राममंदिर निर्माण में कराया जाए। हालांकि, इस पर नए ट्रस्ट को ही फैसला लेना है। हमें उम्मीद है कि लोगों के योगदान से तैयार इन पत्थरों को नजरअंदाज नहीं किया जाएगा। मंदिर हमारे प्रस्तावित मॉडल के आधार पर ही बनेगा क्योंकि लाखों रामभक्तों की भावनाएं इस मॉडल से जुड़ीं हैं।



विहिप के मंदिर की परिकल्पना
विहिप नेता अशोक सिंहल की अगुवाई में तैयार मॉडल के अनुसार राममंदिर की लंबाई 268 फुट पांच इंच, चौड़ाई 140 फुट और ऊंचाई 128 फुट होगी। मंदिर में कुल 212 खंभे बनेंगे। इसमें से 16 फुट ऊंचाई के 106 खंभे पहली मंजिल पर और इतने ही खंभे 14 फुट छह इंच ऊंचाई के दूसरी मंजिल पर लगेंगे। इन सभी खंभों में 16 मूर्तियां होंगी। मंदिर के अगले भाग में सिंहद्वार, नृत्य मंडप, रंगमंडप और गर्भगृह बनेगा। इसी गर्भगृह में भगवान राम की मूर्ति लगाई जाएगी।



ट्रस्ट में शामिल होने का अधिकार पाने को हिंदू महासभा करेगी आंदोलन
अखिल भारत हिंदू महासभा के जिलाध्यक्ष राकेश दत्त मिश्र ने कहा है कि श्री राम मंदिर तीर्थ ट्रस्ट में हिंदू महासभा को प्रतिनिधित्व देने की मांग पर केंद्र सरकार ने सकारात्मक निर्णय नहीं लिया तो हिंदू महासभा देशव्यापी आंदोलन करेगी। इस बाबत अखिल भारत हिंदू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी त्रिदंडी महाराज के नेतृत्व में 5 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने 7 फरवरी को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को ज्ञापन भी दिया है। आंदोलन की रूपरेखा हिंदू महासभा के राष्ट्रीय महामंत्री देवेंद्र पांडेय उज्जैन में 9 फरवरी की राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक में सबके सामने रखेंगे।
‘ट्रस्ट में अयोध्या के तीनों अनी अखाडे़ के महंतों को मिले स्थान’


श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट और वृंदावन कुंभ को लेकर वैष्णव अखाड़ा परिषद और चतु: संप्रदाय विरक्त वैष्णव परिषद की संयुक्त बैठक शनिवार को हुई। इसमें महामंडलेश्वर, महंत, साधु, संत, ब्राह्मण और भागवत विद्वानों का कहना था कि ट्रस्ट में महंत नृत्यगोपाल दास महाराज के साथ अयोध्या के तीनों अनी अखाड़े के महंतों को भी स्थान मिलना चाहिए।



पीपाद्वाराचार्य बाबा महामंडलेश्वर बलराम शरणदेवाचार्य महाराज एवं चतु संप्रदाय विरक्त वैष्णव परिषद अध्यक्ष महंत जयराम दास महाराज ने कहा कि रामानंद संप्रदाय, निमबार्क संप्रदाय, माधवाचार्य संप्रदाय, विष्णु स्वामी संप्रदाय के मठाधीश महंतों को ट्रस्ट में स्थान मिलना चाहिए।