अब छह माह बाद ही ले सकेंगे जीवनसंगिनी संग फेरे

ATN:अब छह माह बाद ही ले सकेंगे सात फेरे
कोरोना आपदा का असर, तय तिथियों पर शादियां होनी मुश्किल
15 अप्रैल से 30 जून के बीच होनी थी पांच हजार से अधिक शादियां
परमात्मा शुक्ल
सिद्धार्थनगर। कोरोना वायरस आपदा में लॉकडाउन और सामाजिक दूरी अपनाने की बंदिश के कारण इस वर्ष लगन की तिथियों पर होने वाली शादियों पर ग्रहण लग गया है। अब विवाह बंधन में बंधने के लिए जिले के पांच हजार से अधिक जोड़ों को कम से कम छह माह का इंतजार करना पड़ेगा।
कोरोना वायरस आपदा लोगों की सामान्य दिनचर्या के साथ ही उनके जीवन पर भी गहरा असर डाल रही है। लॉकडाउन में सामाजिक दूरी के कारण जहां लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है वहीं अब दो परिवारों के बीच होने वाले महत्वपूर्ण वैवाहिक कार्यक्रम भी इससे पूरी तरह प्रभावित हैं। उसका क्षेत्र के छितरापार गांव निवासी पंडित अंबरीष शुक्ल ने बताया कि इस वर्ष शादियों की शुभ मुहूर्त की तिथियां 15 अप्रैल से शुरू होकर 30 जून तक चलेंगी। इसके बाद 25 नवंबर से 13 दिसंबर तक शादियों के लिए कुछ तिथियों में लगन है। 15 अप्रैल से 30 जून तक के बीच की तिथियों में जिले के कस्बों से लेकर गांवों तक में पांच हजार से अधिक शादियां निर्धारित की गई है। साथ ही वर और वधू पक्ष के लोगों ने वैवाहिक कार्यक्रम संपन्न करने के लिए टेंट, विवाह घर, डेकोरेशन, बैंड बाजा, खाने की व्यवस्था के लिए हलवाई आदि की बुकिंग भी कर ली थी। अब कोरोना वायरस आपदा में शादियां में सगे-संबंधियों के नहीं जुटने से शादियां टलनी तय हैं। ऐसे में विवाह बंधन में बंधने वाले जोड़ों और रिश्तेदार बनने वाले दोनों परिवारों को कम से कम छह माह का इंतजार करना पड़ेगा।
इन तिथियों में है शादियों का लगन
पंचांग के अनुसार विवाह के लिए अप्रैल माह में 15, 16, 17, 20, 25, 26, 27,
मई माह में 1, 2, 4, 5, 6, 7, 8, 10, 17, 18, 19, 23, 24,
जून माह में 13, 14, 15, 19, 20, 25, 27, 30 को शुभ मुहूर्त है।
इसके बाद नवंबर माह में 24, 29, 30 और दिसंबर में 1, 2, 6, 7, 8, 9, 11, 13 को लगन है।
तिथियां टलने से कारोबार होंगे प्रभावित
शादियों की तिथियां टलने से ज्वैलरी, कपड़े, फर्नीचर, कास्मेटिक, किराना, इलेक्ट्रानिक सामान, बर्तन, बैंडबाजा, अतिशबाजी, ब्यूटी पार्लर, फोटोग्राफर्स, बारात घर, हलवाई और कैटरिंग आदि व्यवसाय पर सीधा असर पड़ेगा। इसके अलावा भवनों की रंगाई-पुताई करने वाले मजदूरों, फूल सजावट आदि कार्यों पर भी असर पड़ना तय है।