CoronaVirus Lockdown के बीच घर में खुद कैसे करें हवन? सामग्री, विधि के साथ फायदे भी जान लें

दुनियाभर में कोरोना वायरस के संक्रमण का प्रकोप चल रहा है। दूसरे शब्‍दों में कहें तो कोरोना वायरस ने लोगों को लॉक कर दिया है। लॉकडाउन सामाजिक दूरी, सेनेटाइज, क्‍वारंटइन जैसे तमाम उपाए संक्रमण से बचाव के लिए उपाए किये जा रहे हैं। फिर भी दुनिया के हजारों लोग लगातार इसके संक्रमण से ग्रसित हो रहे हैं। इधर नवरात्रों के विशेष दिनों में होने वाला हवन वातावरण को शुद्ध करने के साथ खुद को भी ऊर्जा से संचारित करने का सबसे उपयुक्‍त माध्‍यम है। धर्म विज्ञान के अनुसार नवदुर्गा के पवित्र दिनों में वातावरण में एक पवित्र ऊर्जा का प्रवाह होता है। प्रतिदिन सुबह हवन की सुगंध चहुं ओर से जब उठती है तो एक सकारात्‍मकता अपने आप मन मस्तिष्‍क झंकृत कर देती है। धर्म वैज्ञानिक पंडित वैभव जोशी के अनुसार हवन महज एक धार्मिक क्रिया नहीं बल्कि वैज्ञानिक दृष्टि से महत्‍वपूर्ण प्रक्रिया है। हवन या यज्ञ साधक के तन और मन को शुद्ध करने के साथ वातावरण को भी स्‍वच्‍छ करता है। हवन के धुएं से प्राण में संजीवनी शक्ति का संचार होता है। हवन के माध्यम से बीमारियों और विषाणुओं से छुटकारा पाने का जिक्र ऋग्वेद में भी है। हवन से हर प्रकार के 94 प्रतिशत जीवाणुओं का नाश होता है। घर की शुद्धि तथा सेहत के लिए हर घर में हवन करना चाहिए। हवन के साथ कोई मंत्र का जाप करने से सकारात्मक ध्वनि तरंगित होती है।



धार्मिक महत्‍व
वैभव कहते हैं कि हवन भारतीय परंपरा अथवा सनातन धर्म में शुद्धिकरण का एक कर्मकांड है। पुराणों के अनुसार कुंड में अग्नि के माध्यम से देवता के निकट हवि पहुंचाने की प्रक्रिया को 'यज्ञ' कहते हैं। हवि, हव्य अथवा हविष्य वे पदार्थ हैं जिनकी अग्नि में आहुति दी जाती है।



हवन की सामग्री
हवन के लिए आम की लकड़ी, बेल, नीम, पलाश का पौधा, कलीगंज, देवदार की जड़, गूलर की छाल और पत्ती, पीपल की छाल और तना, बेर, आम की पत्ती और तना, चंदन की लकड़ी, तिल, जामुन की कोमल पत्ती, अश्वगंधा की जड़, तमाल यानी कपूर, लौंग, चावल, ब्राम्ही, मुलैठी की जड़, बहेड़ा का फल और हर्रे तथा घी, शकर, जौ, तिल, गुगल, लोभान, इलायची एवं अन्य वनस्पतियों का बूरा उपयोगी होता है। हवन के लिए गाय के गोबर से बनी छोटी-छोटी कटोरियां या उपले घी में डुबोकर डाले जाते हैं।



ऐसे करें हवन
पंडित वैभव जोशी कहते हैं कि हवन करने से पूर्व स्वच्छता का ख्याल रखें। सबसे पहले रोज की पूजा करने के बाद अग्नि स्थापना करें फिर आम की चौकोर लकड़ी लगाकर, कपूर रखकर जला दें। उसके बाद इन मंत्रों से हवन शुरू करें।



- ॐ आग्नेय नम: स्वाहा (ॐ अग्निदेव ताम्योनम: स्वाहा)
- ॐ गणेशाय नम: स्वाहा
- ॐ गौरियाय नम: स्वाहा
- ॐ नवग्रहाय नम: स्वाहा
- ॐ दुर्गाय नम: स्वाहा
- ॐ महाकालिकाय नम: स्वाहा
- ॐ हनुमते नम: स्वाहा
- ॐ भैरवाय नम: स्वाहा
- ॐ कुल देवताय नम: स्वाहा
- ॐ स्थान देवताय नम: स्वाहा
- ॐ ब्रह्माय नम: स्वाहा
- ॐ विष्णुवे नम: स्वाहा
- ॐ शिवाय नम: स्वाहा
- ॐ जयंती मंगलाकाली भद्रकाली कपालिनी दुर्गा क्षमा शिवाधात्री स्वाहा



- ॐ स्वधा नमस्तुति स्वाहा



- ॐ ब्रह्मामुरारी त्रिपुरांतकारी भानु: क्षादी: भूमि सुतो बुधश्च: गुरुश्च शक्रे शनि राहु केतो सर्वे ग्रहा शांति कर: स्वाहा



- ॐ गुरुर्ब्रह्मा, गुरुर्विष्णु, गुरुर्देवा महेश्वर: गुरु साक्षात परब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नम: स्वाहा



- ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिंम् पुष्टिवर्धनम्/ उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् मृत्युन्जाय नम: स्वाहा



- ॐ शरणागत दीनार्त परित्राण परायणे, सर्व स्थार्ति हरे देवि नारायणी नमस्तुते।



ऐसे दें पूर्णाहुति
हवन के बाद गोला में कलावा बांधकर फिर चाकू से काटकर ऊपर के भाग में सिन्दूर लगाकर घी भरकर चढ़ा दें जिसको वोलि कहते हैं। फिर पूर्ण आहूति नारियल में छेद कर घी भरकर, लाल तूल लपेटकर धागा बांधकर पान, सुपारी, लौंग, जायफल, बताशा, अन्य प्रसाद रखकर पूर्ण आहुति मंत्र बोले- 'ॐ पूर्णमद: पूर्णमिदम् पुर्णात पूण्य मुदच्यते, पुणस्य पूर्णमादाय पूर्णमेल विसिस्यते स्वाहा।'
पूर्ण आहुति के बाद यथाशक्ति दक्षिणा माता के पास रख दें, फिर परिवार सहित आरती करके अपने द्वारा हुए अपराधों के लिए क्षमा-याचना करें, क्षमा मांगें। इसके बाद अपने ऊपर किसी से 1 रुपया उतरवाकर किसी अन्य को दें दें।