कोरोना वायरस को लेकर राहत की खबर है कि देश में अब इस महामारी का अगला फेज भयावह नहीं होगा। बृहस्पतिवार को लॉकडाउन के नौ दिन पूरे हो चुके हैं और अब तक पुराने फेज के मरीज ही सामने आ रहे हैं फिर चाहे वह विदेश से लौटने या उनसे संपर्क वाले हों या फिर तब्लीगी जमात से जुड़े लोग हों। देश में कोरोना वायरस का नया फेज 31 मार्च के बाद से शुरू हो चुका है। ऐसी स्थिति में संक्रमित मरीज तो मिलेंगे लेकिन इनकी संख्या फिलहाल की तुलना में कम हो सकती है। विशेषज्ञों की मानें तो अगले एक सप्ताह में स्थिति काफी नियंत्रण में दिखाई देगी।
लगातार बढ़ रहे कोरोना मरीजों को लेकर तमाम आंकड़ों के विशेषज्ञ संख्या में दो से तीन या चार से पांच गुना तक वृद्घि के कयास लगा रहे हैं। वहीं स्वास्थ्य विशेषज्ञों का दावा है कि शुरुआती दिनों से ही बेहतर स्थिति में भारत अभी भी कोरोना को नियंत्रित किए है। शिव नादर यूनिवर्सिटी के एक अध्ययन के अनुसार अगर लॉकडाउन नहीं होता तो देश में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या 2.70 लाख तक पहुंच जाती और इस महामारी से 5407 लोगों की मौत होती।
वहीं स्वास्थ्य मंत्रालय सहित केंद्र सरकार के कई स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि तब्लीगी जमात की वजह से मरीजों की संख्या में बढ़ोत्तरी ज्यादा हुई है। हालांकि इनमें से ज्यादातर सरकार के क्वारंटीन केंद्रों में होने से इनके जरिए सामुदायिक फैलाव के कयास नहीं लगाए जा सकते।
लॉकडाउन का असर अभी शुरू भी नहीं
आईसीएमआर के मुख्य महामारी विशेषज्ञ डॉ. रमन आर गंगखेड़कर मानते हैं कि पिछले कुछ दिन में कोरोना मरीजों की संख्या दोगुनी से ज्यादा हुई है लेकिन आगे भी ऐसा होगा, फिलहाल वे ऐसा नहीं मानते। उनका कहना है कि अब तक के लॉकडाउन काल में वही केस सामने आए हैं जो 18 मार्च से पहले हमारे नागरिक विदेशों से वापस आए हैं या फिर तब्लीगी जमात से जुड़े। फिलहाल इनमें से अधिकांश क्वारंटीन हैं या फिर अस्पतालों में भर्ती हैं। लोगों को लग रहा है कि लॉकडाउन के बाद भी हर दिन सैंकड़ों मरीज सामने आ रहे हैं। जबकि ऐसा नहीं है। लॉकडाउन का असर तो अभी शुरू ही नहीं हुआ। ये असर दिखेगा अगले सप्ताह, जब 14 दिन का काल पूरा होगा।
पुराने मरीजों का लगभग पूरा हो चुका फेज
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि 30 जनवरी को पहला मरीज मिलने के बाद से देश में कोरोना के अब तक करीब 2 महीने पूरे हो चुके हैं। इस पूरे ट्रेंड को देखेंगे तो 15 मार्च के बाद ही ग्राफ ऊपर बढ़ा है। उस वक्त तक ज्यादात्तर हमारे नागरिक विदेश से वापस आ चुके थे। 14 दिन क्वारंटीन का फेज होता है लेकिन ऐसे कई उदाहरण हैं जिन्हें क्वारंटीन के अंतिम दिन यानि 11वें या 13वें दिन में संक्रमण मिला है। इन लोगों का जैसे-जैसे फेज पूरा हो रहा है उसमें से जो संक्रमित मिल रहे हैं उन्हें भर्ती किया जा रहा है।
जनता कर्फ्यू-लॉकडाउन ने कोरोना पर कसी है लगाम
सफदरजंग अस्पताल के कम्युनिटी मेडिसिन विभागाध्यक्ष डॉ. जुगल किशोर का कहना है कि किसी भी महामारी का एक पूरा सर्कल होता है। उस सर्कल के अनुसार भविष्य के परिणामों पर समीक्षा की जा सकती है। कोरोना का भी एक सर्कल है जिस पर गौर करें तो 10 से 20 मार्च के बीच मरीज मिलना शुरू हुए हैं। इस समय बाहर से लोगों के आने का सिलसिला जारी था। जनता कर्फ्यू और फिर लॉकडाउन के चलते ही देश कोरोना की स्टेज तीन से दूर है।
हॉटस्पॉट के लोगों की होगी जांच
स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार अभी तक देश में 20 मौजूदा और 22 संभावित कोरोना वायरस हॉटस्पॉट हैं। यहां से संक्रमित मरीज मिलने के बाद सैनिटाइजेशन चल रहा है। इसीलिए भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) कोविड-19 की जांच प्रक्रिया में कुछ बदलाव करने जा रहा है। अगले एक से दो दिन में इसके आदेश जारी हो सकते हैं। इसके तहत जिन स्थानों पर सबसे ज्यादा केस मिल रहे हैं वहां के लोगों की जांच कराई जा सकती है।
अब तक की स्थिति
भारत में 30 जनवरी से लेकर 01 मार्च तक कोरोना संक्रमित मरीज तीन थे लेकिन 2 मार्च से इनकी संख्या बढ़ रही है। संक्रमित मरीजों की संख्या 3 से बढ़कर 100 पहले 49 दिन में पहुंची है। जबकि 100 से 1 हजार को पहुंचने में 14 दिन लगे लेकिन पिछले तीन दिन में ये संख्या बढ़कर 2 हजार के करीब पहुंच चुकी है।