ATN:बड़े शहरों में फीडर सर्विस और छोटे शहरों तथा ग्रामीण इलाकों में परिवहन का प्रमुख साधन ई-रिक्शा और ऑटो चालक भूखमरी की कागर पर पहुंच चुके हैं. सरकारों से मिलने वाले राशन नाकाफी हैं और काम ठप होने की वजह से उनके पास राशन खरीदने के पैसे भी नहीं है. मजबूरी में उन्हे भोजन के लिए दूसरों की मदद पर निर्भर होने के अलावा कोई चारा नहीं है.
सूत्रों का कहना है कि केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने मंगलवार को जब वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए विभिन्न राज्यों के परिवहन मंत्रियों से बात की तो उन्हे यह जानकारी मिली. स्थिति की गंभीरता को देखते हुए गडकरी ने राज्यों के परिवहन मंत्रियों से कहा है कि वह अपने राज्यों में एप आधारित तिपहिया वाहनों का संचालन शुरू करें. खासकर ग्रामीण इलाकों में तत्काल कदम उठाए.
ऐसा होने से ग्रामीण इलाके के किसानों को परिवहन का साधन मिलेगा और रोजगार के अवसर भी बनेंगे. परिवहन मंत्रालय से मिली जानकारी के मुताबिक देश भर में इस समय करीब 1 करोड़ ई रिक्शा, शेयरिंग ऑटो तथा चार पहिए वाहन चल रहे हैं.
लॉक डाउन की वजह से इन्हे चलाने वाले बेरोजगारी की दौर से गुजर रहे हैं. ज्यादातर चालक ऐसे हैं जिन्होंने बैंकों से कर्ज लेकर वाहन लिया था उनका किश्त भी अभी तक दे नहीं पाए हैं.
सूत्रों का कहना है कि गडकरी को राज्यों से यह फीडबैक मिला है कि इन वाहनों के जरिए कमाने वाले ज्यादातर लोग अपना और अपने परिवार के लिए खाना की व्यवस्था करने के लिए अन्य लोगों से मदद मांग रहे हैं.
यदि लॉक डाउन लंबा चला तो और अधिक लोग खाने के लिए दूसरे लोगों से मदद मांगेंगे.हालांकि सरकार की तरफ से राशन की पूरी व्यवस्था है लेकिन दिक्कत यह आ रही है कि सस्ते मूल्य पर अनाज खरीदने लायक पैसे भी लोगों के पास नहीं है. जो लोग रोजाना 100-200 रूपए कमा कर अपना जीवन-यापन कर रहा था उसके पास दूसरों पर निर्भर रहने के अलावा दूसरा कोई उपाय बचा नहीं है.