अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद् के महामंत्री और श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक श्रीमहन्त हरि गिरि जी महाराज का दावा है कि भारत की प्रकृति और यहां का रहन सहन कोरोना वायरस के अनुकूल नहीं है।
लखनऊ। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद् के महामंत्री और श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक श्रीमहन्त हरि गिरि जी महाराज का दावा है कि भारत की प्रकृति और यहां का रहन सहन कोरोना वायरस के अनुकूल नहीं है। वह जल्द ही यहां निष्प्रभावी हो जाएगा।
श्रीमहन्त हरि गिरि ने कहा है कि लोग कोरोना से डरें नहीं बल्कि सतर्क रहें। भारत में इसकी उम्र बहुत कम है। उन्होंने सुझााव दिया है कि लोग नीम का ताजा पत्ता खायें और गिलोय का काढ़ा पियें। साथ ही आसन करके फेफड़ों में भरपूर हवा भरें। इससे यह वायरस बेअसर हो जाएगा। उन्होंने बताया कि गिलोय का काढ़ा और नीम का पत्ता विषाणुजनित रोगों में काफी असरकारी होता है।
हिन्दुस्थान समाचार से एक विशेष वार्ता में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद् के महामंत्री ने कहा कि कोरोना जैसे वायरस अधिकतर ठंडे और अत्यधिक सुविधा वाले उन देशों में महामारी का रुप ले रहा है जहां पश्चिमी सभ्यता का बोलबाला है।
उन्होंने कहा कि भारत की प्रकृति और प्रवृत्ति पाश्चात्य सभ्यता वाले देशों से इतर है। यहां नंगे वदन सूर्यनारायण को अघ्र्य देने की परंपरा है, जिससे तमाम वायरस स्वतः नष्ट हो जाते हैं। श्रीमहंत ने कहा कि कोरोना से बचाव के लिए आज जो एकांतवास और शारीरिक दूरी की बात की जा रही है, वह हमारे यहां प्राचीन काल से सामान्य व्यवहार का हिस्सा रही है।
हरि गिरि जी महाराज ने कहा कि हमारे यहां ऋषि, मुनि और गृहस्थ एकांत में ही पूजा पाठ करते थे। जब कभी कोई शिष्य अथवा अन्य व्यक्ति मिलने आता है तो कम से कम सात फीट की दूरी पर खड़े होकर या निर्देश मिलने पर बैठकर ही वार्ता का क्रम प्रारम्भ करता है। इससे यदि किसी व्यक्ति में कोई कीटाणु हैं तो वे दूसरे को संक्रमित कदापि नहीं कर सकते।
एक सवाल के जवाब में श्रीमहंत ने कहा कि भारत की प्रकृति और यहां के लोगों के रहन सहन के मद्देनजर कोरोना वायरस का प्रभाव इस देश में अधिक दिन नहीं रह पायेगा।
उन्होंने दावा किया कि आठ अप्रैल को हनुमान जयंती का पर्व मनाया जाएगा, इसके बाद इस वायरस का असर कम होने लगेगा। फिर गंगा दशहरा तक यह बिल्कुल निष्प्रभावी हो जाएगा। गंगा दशहरा ज्येष्ठ माह में शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। इस बार यह पर्व 14 जून को पड़ रहा है।