ATN:सबसे परेशान गरीब, मजदूर हैं, जो ज्यादातर दलित और पिछड़े हैं लेकिन इनकी सियासी ठेकेदार बसपा सुप्रीमों मायावती चुप हैं। उनकी पार्टी के कुछ नेताओं को यह अखर रहा है। एक पूर्व राज्यसभा सांसद का कहना है कि यही समय है, जब बसपा कुछ कह सकती है। क्योंकि मजदूर तबका परेशान है।
एक तो रोजी-रोटी बंद, ऊपर से फंसा, भूख से मर रहा है। सूत्र से यह पूछने पर कि अपनी नेता को सलाह क्यों नहीं देते? जनाब का कहना है कि मायावती से मिलना ही मुश्किल है। मिल भी लिए तो सलाह देना भी मुश्किल है। कदाचित सलाह दे दिए तो फिर शामत भी तय है।
नेतागिरी में अब तो चाहे जो पार्टी हो, बस हां में हां मिलाएं। बसपा हो या सपा, नेता जी मत बनिए। पहले भाजपाई नेता जी बन जाते थे, अब मोदी, योगी के जमाने में वह भी नहीं बन पा रहे हैं।
नेता जी बनने की थोड़ी सी गुंजाइश कांग्रेस में बची है, लेकिन पूरी पार्टी का ही बंटाधार है। सूत्र का कहना है कि उसके यहां तो जो नेता जी बना, सुबह होते ही पार्टी से बाहर।