नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में तबलीगी जमात का जलसा देश में कोरोना संक्रमण का बड़ा स्रोत बन गया है। इस जलसे में हिस्सा लेकर लौटने वाले लोगों के जरिए देश के तमाम राज्यों में कोरोना का संक्रमण फैल गया है। देश में पिछले 24 घंटे के दौरान कोरोना संक्रमण के जितने मामले सामने आए हैं उनमें आधे से अधिक मामले तबलीगी जमात से जुड़े लोगों के हैं। ऐसे में अब इस जमात को लेकर सियासी हमले भी शुरू हो गए हैं और इसका इतिहास भी खंगाला जाने लगा है। इस जमात के आतंकी कनेक्शन होने की बात सामने आने पर खुफिया एजेंसियों के भी कान खड़े हो गए हैं।
कोरोना को फैलाने में बड़ी भूमिका
तबलीगी जमात के इस जलसे के जरिए अंडमान निकोबार तक कोरोना का संक्रमण फैल गया। इस जलसे ने कोरोना के संक्रमण को फैलाने में कितनी बड़ी भूमिका निभाई, इसे इसी तथ्य से समझा जा सकता है कि अब तक मिले संक्रमित ओं में 304 इसी से जुड़े हैं। पिछले 24 घंटे के दौरान मरकत से जुड़े 230 नए मरीज मिले हैं। इससे समझा जा सकता है कि तबलीगी जमात का मरकज देश में कोरोना संक्रमण का सबसे बड़ा कैरियर बन गया है।
अभी जलसे के जरिए कोरोना संक्रमण के मामले सामने आने का सिलसिला थमा नहीं है। इससे समझा जा सकता है कि तबलीगी जमात के इस आयोजन ने देश को कितनी बड़ी मुश्किल में डाल दिया है।
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संदेह के घेरे में जमात के मुखिया
तबलीगी जमात के अमीर यानी मुखिया मौलाना मोहम्मद साद कांधलावी की भूमिका भी संदेह के घेरे में है। उन्होंने अपनी जिद के चलते हजारों लोगों की जान जोखिम में डाल दी। इस बड़ी लापरवाही के मामले में दिल्ली पुलिस ने कांधलावी और सात अन्य लोगों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है, लेकिन मौलाना फरार हो गए हैं। दिल्ली पुलिस अभी तक मौलाना को गिरफ्तार करने में कामयाब नहीं हो सकी है।
मौत के लिए मस्जिद से बेहतर जगह नहीं
मौलाना का एक ऑडियो इस बात की तस्दीक करता है मानो उन्होंने जानबूझकर देश को गहरी मुसीबत में डाल दिया है। मौलाना साद में मरकज से लोगों को हटाने के बजाय लोगों से यह अपील की कि अगर मस्जिद आने से मौत होती है तो इसके लिए मस्जिद से अच्छी कौन जगह हो सकती है।
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कोरोना को बताया मुस्लिमों के खिलाफ साजिश
इस ऑडियो में मौलाना ने कहा कि कोरोना मुसलमानों के खिलाफ साजिश है। वे कहते हैं कि कहा जा रहा है कि एक-दूसरे से दूर रहें, साथ खाना न खाएं, गले न मिले, लेकिन यह सबकुछ इस्लाम की तहजीब के खिलाफ है। साजिश करने वाले मस्जिदें खाली कराना चाहते हैं। अगर मुसलमान इनकी बातों में फंस गए तो यह परंपराओं के खिलाफ होगा। मौलाना ने इस आडियो में लोगों को इससे सतर्क करते हुए कहा कि बीमारी तो चली जाएगी, लेकिन इसकी वजह से मुसलमानों के दिलों में हमेशा के लिए दूरी पैदा हो जाएगी।
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आतंकी गतिविधियों में लिप्त हैं कई सदस्य
तबलीगी जमात के बारे में न्यूज़ एजेंसी आईएएनएस की एक हालिया रिपोर्ट काफी चौंकाने वाली है। इस रिपोर्ट के मुताबिक तबलीगी जमात के कई सदस्य आतंकी गतिविधियों में भी लिप्त पाए गए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान और बांग्लादेश में तबलीगी जमात की शाखाएं भारत के खिलाफ जिहाद और आतंकवाद फैलाने में शामिल रही है। अमेरिका में 9/11 के आतंकी हमले में शामिल अलकायदा के कुछ आतंकियों के भी तबलीगी जमात से लिंक मिले हैं।
हरकत उल मुजाहिदीन से कनेक्शन
भारतीय जांचकर्ताओं और पाकिस्तान के सुरक्षा विश्लेषकों के हवाले से इस रिपोर्ट में बताया गया है कि हरकत उल मुजाहिदीन का असली संस्थापक भी तबलीगी जमात का सदस्य था। 1999 में इंडियन एयरलाइंस के विमान के अपहरण में इसी आतंकी संगठन का हाथ था जिसके बदले में खूंखार आतंकी और जैश-ए-मोहम्मद के संस्थापक मसूद अजहर की रिहाई हुई थी। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि 80-90 के दशक में जमात से जुड़े 6000 से ज्यादा सदस्यों ने पाकिस्तान में हरकत उल मुजाहिदीन के कैंपों में आतंकी ट्रेनिंग ली थी। यह आतंकी ट्रेनिंग अफगानिस्तान से सोवियत संघ की सेनाओं को भगाने के लिए दी गई थी।
आतंकी शिविरों में बाकायदा ट्रेनिंग
देश के एक बड़े अखबार की रिपोर्ट में भी सनसनीखेज जानकारी दी गई है। इस रिपोर्ट के मुताबिक हरकत उल जिहाद अल इस्लामी यानी हूजी से टूटकर 1985 में हरकत उल मुजाहिदीन का गठन किया गया था। इस संगठन ने अफगानिस्तान से तत्कालीन सोवियत संघ गठबंधन की सत्ता को उखाड़ने के लिए पाकिस्तान समर्थक जिहाद में भी हिस्सा लिया था। खुफिया अनुमानों के मुताबिक इसके लिए पाकिस्तान स्थित आतंकी शिविरों में बाकायदा ट्रेनिंग दी गई थी।
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गोधरा कांड में भी उठी थी उंगलियां
अफगानिस्तान में सोवियत संघ की हार के बाद हरकत उल मुजाहिदीन और हूजी ने अपनी सक्रियता कश्मीर में बढ़ाई। इस कारण कश्मीर में आतंकी घटनाओं में बढ़ोतरी हुई और सैकड़ों बेगुनाह लोग मारे गए। बाद में हरकत उल मुजाहिदीन के सदस्य खूंखार आतंकी मसूद अजहर के नेतृत्व में बने आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद में शामिल हो गए। गोधरा में कारसेवकों को जिंदा जलाने की घटना में भी तबलीगी जमात पर संदेह जताया गया था।
आतंकी संगठनों से जमात का जुड़ाव
भारतीय खुफिया अधिकारी और सुरक्षा विशेषज्ञ वी रमन ने भी अपने लेख में ऐसी बातों का जिक्र किया था जिससे तबलीगी जमात की गतिविधियों को लेकर संदेह पैदा होता है। उन्होंने तबलीगी जमात की पाकिस्तान और बांग्लादेश स्थित शाखाओं के हरकत उल मुजाहिदीन, हरकत उल जिहाद अल इस्लामी, लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों के साथ जुड़ाव का उल्लेख किया है।
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प्रचारक का भेष और काम आतंकी ट्रेनिंग
रमन ने अपने लेख में एक महत्वपूर्ण जानकारी भी दी है। उनके मुताबिक हरकत उल मुजाहिदीन जैसे आतंकी संगठनों के सदस्य खुद को तबलीगी जमात का प्रचारक दर्शा कर वीजा हासिल करते थे और विदेश जाकर पाकिस्तान में आतंकी ट्रेनिंग के लिए मुस्लिम युवाओं की भर्ती करते थे। जमात ने चेचन्या रूस के धागे क्षेत्र, सोमालिया और कुछ अफ्रीकी देशों में काफी संख्या में समर्थक तैयार कर लिए थे। रमन के मुताबिक इन सभी देशों की खुफिया एजेंसियों को भी संदेह था कि पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन अलग-अलग देशों के मुस्लिम समुदायों में स्लीपर सेल तैयार करने के लिए इन प्रचारकों का इस्तेमाल कर रहे थे।
200 देशों में सक्रिय है जमात
1926 में स्थापित तबलीगी जमात को आज दुनिया का एक बड़ा संगठन माना जाता है। यह जमात अमेरिका और तमाम प्रमुख यूरोपीय देशों समेत करीब 200 देशों में सक्रिय है। दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित बंगले वाली मस्जिद जमात का मुख्यालय है और यहां दुनिया के विभिन्न हिस्सों से जमात के सदस्यों का आना-जाना हमेशा लगा रहता है।
विवादित रहे हैं मौलाना साद
निजामुद्दीन स्थित मुख्यालय से तबलीगी जमात को चलाने वाले मौलाना मोहम्मद साद शुरू से ही काफी विवादित रहे हैं। जमात पर एकछत्र राज्य के लिए उन्होंने काफी पापड़ बेले और आखिरकार मार्च 2014 में उन्हें कामयाबी मिली। तब उन्होंने खुद को जमात का एकछत्र नेता घोषित कर दिया। जमात पर पूरी तरह कब्जा कर लेने के बाद वे मनमाने फैसले लेने लगे और इस कारण दो साल पहले तबलीगी जमात का विभाजन भी हुआ था। साद निजामुद्दीन स्थित मुख्यालय से अपनी गतिविधियां चलाते हैं जबकि दूसरे गुट का मुख्यालय मुंबई के नजदीक हैं।
सवालों के घेरे में दिल्ली पुलिस
तबलीगी जमात के जलसे से कोरोना वायरस के संक्रमण के बाद दिल्ली पुलिस की लापरवाही को लेकर भी तमाम सवाल खड़े किए जा रहे हैं। दिल्ली पुलिस शुरुआत में लॉकडाउन की धज्जियां उड़ाने वालों के खिलाफ केस दर्ज करने में हीलाहवाली करती रही। जब इस जलसे में हिस्सा लेने वालों की कोरोना वायरस से मौत होने लगी तब दिल्ली पुलिस की नींद टूटी और मौलाना साद और सात अन्य लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया।
फरार मौलाना की गिरफ्तारी नहीं
अब दिल्ली पुलिस पर सवाल इसलिए उठाए जा रहे हैं क्योंकि वह पूरे देश को जोखिम में डालने वाले मौलाना साद को अभी तक गिरफ्तार करने में कामयाब नहीं हो सकी है। लोगों का आरोप है कि दिल्ली पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी रही और इतना गंभीर गुनाह करने वाला मौलाना फरार हो गया।
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लोगों का सवाल है कि दिल्ली पुलिस इतनी गहरी नींद में क्यों थी। साद की तलाश में जुटी दिल्ली पुलिस
इस बीच पता चला है कि मौलाना साद 28 मार्च को ही फरार हो गया था। अपराध शाखा के एक अधिकारी के मुताबिक दिल्ली के जाकिर नगर जामिया नगर व शाहीन बाग और यूपी के मुजफ्फरनगर व कांधला में मौलाना साद की तलाशी की जा रही है। साद कांधला का ही रहने वाला है।
जमात के समर्थन में पीएफआई
इस बीच इस्लामिक संगठन पीएफआई भी तबलीगी जमात के समर्थन में उतर आया है। पीएफआई का कहना है कि तबलीगी जमात ने कुछ भी गलत नहीं किया है। सरकार और मीडिया प्रोपगैंडा फैलाकर इसे बदनाम करने की साजिश कर रहे हैं।पीएफआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष का कहना है कि तबलीगी जमात का मामला सिर्फ इसलिए उछाला गया ताकि लॉकडाउन के बुरे नतीजों से लोगों का ध्यान हटाया जा सके। पीएफआई ने कहा कि लाकडाउन में भीड़ जुटाने का आरोप मढ़कर मौलाना साद व अन्य लोगों पर एफआईआर दर्ज करना निंदनीय है।
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यहां यह उल्लेखनीय है कि पीएफआई पर कई बार देश विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप लगे हैं। सीएए के खिलाफ प्रदर्शनों के दौरान हिंसा और दिल्ली दंगे मैं भी पीएफआई का नाम आया था। लखनऊ और दिल्ली की हिंसा के सिलसिले में पीएफआई के कई सदस्यों को विभिन्न जगहों से गिरफ्तार भी किया गया था।