ATN: NEW DELHI:दवाके बाद अब दुनिया भारत से कोरोना वॉरियर्स भी मांग रही है। कोरोन वायरस संक्रमितों के इलाज के लिए संयुक्त अरब अमीरात ने मोदी सरकार से भारतीय डॉक्टर और नर्स भेजने की मांग की है। केंद्र सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
1 करोड़ से कम जनसंख्या वाले यूएई में 11 हजार कोरोना वायरस संक्रमित मिल चुके हैं और हर दिन औसतन 500 नए मरीज मिल रहे हैं। यूएई विदेशों में पढ़े डॉक्टरों और पैरा मेडिकल स्टाफ पर निर्भर करता है, जिसमें भारतीय भी शामिल हैं। उनमें से कई छुट्टी पर थे जब दिल्ली और अबु धाबी ने कोरोन वायरस महामारी को रोकने के लिए यात्री विमान सेवा पर रोक लगा दी।
भारत की जरूरत को ध्यान में रखकर होगा फैसला
हालांकि, अतिरिक्त डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ भोजने के फैसले पर सरकार में अधिक विचार-विमर्श की जरूरत है। इस स्टेज पर भारत की जरूरत का आंकलन करने के बाद फैसला लिया जाएगा, लेकिन कोशिश इस महत्वपूर्ण समय में यूएई की मदद की है। 15 दिन पहले ही भारत ने सेना के 15 डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ की एक टीम को कुवैत भेजा है और आवश्यकता पड़ने पर और मदद का आश्वासन दिया गया है।
मोदी सरकार ने गल्फ से मजबूत किया रिश्ता
विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि इसे उस पृष्ठभूमि में देखने की जरूरत है कि कैसे पिछले 5-6 सालों में भारत और गल्फ देशों के बीच संबंध मजबूत हुए हैं। एनडीए सरकार के पहले कार्यकाल से ही पीएम मोदी और उनके मुख्य सलाहकारों ने पश्चिम एशिया में सउदी अरब, यूएई, जॉर्डन, बहरीन, कतर और ओमान जैसे देशों से कूटनीतिक रिश्ते सुधारने में ऊर्जा का निवेश किया है।
2015 में नरेंद्र मोदी पहले भारतीय प्रधानमंत्री थे जो यूएई के दौरे पर गए थे। यहां 34 लाख भारतीय कामगार पिछले तीन दशकों से काम कर रहे हैं। सऊदी अरब, कुवैत, ओमान और बहरीन में बड़ी संख्या में भारतीय रोजगार प्राप्त करते हैं।