ATN:आगरा में पिता का इलाज कराने के लिए बेटा उन्हें छह अस्पतालों में लेकर गया, लेकिन कोरोना वायरस की आशंका पर किसी ने भर्ती ही नहीं किया। उन्हें सांस लेने में तकलीफ थी, लेकिन ऑक्सीजन सिलिंडर तक नहीं मिला। बेहोशी की हालत में कोरोना जांच के लिए पांच घंटे इंतजार किया। फिर बेटे के सामने तड़प-तड़पकर दम तोड़ दिया।
बल्केश्वर के भगवान नगर निवासी 55 वर्षीय कपड़ा व्यवसायी मुकेश गोयल पुत्र स्वर्गीय ओम प्रकाश गोयल मधुमेह से पीड़ित थे। उनके बेटे निखिल ने बताया कि मंगलवार रात दो बजे उन्हें सांस लेने में तकलीफ हुई। सुबह छह बजे से उन्हें लेकर इलाज के लिए अस्पतालों का दरवाजा खटखटाते रहे, लेकिन कहीं इलाज नहीं मिला।
छह अस्पतालों में गया
निखिल अपने बीमार पिता को लेकर कमला नगर के चार अस्पतालों में गया। वहां किसी ने भर्ती नहीं किया। फिर पुष्पांजलि हॉस्पिटल गया। वहां से रेनबो गया। दो घंटे गंभीर हालत में पिता को लेकर इलाज के लिए भटकता रहा, लेकिन सब कोविड टेस्ट कराया या नहीं पूछते रहे। किसी ने इलाज नहीं किया।
कोविड टेस्ट को पांच घंटे इंतजार
निखिल ने बताया कि मैं सुबह साढ़े आठ बजे कोविड टेस्ट के लिए जिला अस्पताल पहुंचा। वहां पांच घंटे तक पिता बेहोशी की हालत में पड़े रहे। दोपहर दो बजे कोविड सैंपल लिया गया। वहां भी भर्ती नहीं किया।
एसएन मेडिकल कॉलेज लाया, तो इमरजेंसी में भर्ती नहीं किया। वहां से घड़ी वाली बिल्डिंग भेज दिया। मैं सबसे ऑक्सीजन सिलेंडर मांगता रहा। इलाज तो दूर, किसी ने छुआ तक नहीं। मेरी आंखों के सामने पिता ने तड़प-तड़प कर दम तोड़ दिया।
'प्रशासन है जिम्मेदार'
मृतक मुकेश गोयल के पुत्र निखिल गोयल ने बताया कि मेरे पिता की मौत के लिए प्रशासन व चिकित्सक जिम्मेदार हैं। अगर मेरे पिता को ऑक्सीजन मिल जाती, तो उनकी मृत्यु नहीं होती।
होगी सख्त कार्रवाई
जिलाधिकारी प्रभु एन सिंह ने बताया कि मामला गंभीर है। अगर किसी स्तर से लापरवाही हुई है, तो संबंधितों के खिलाफ सख्त कार्रवाई। जांच कराई जाएगी।
मुकेश गोयल से पहले आठ दिन में पांच मरीज इलाज के अभाव में दम तोड़ चुके हैं।
1. सिकंदरा निवासी सेवानिवृत्त अधिकारी की डायलिसिस नहीं होने से मौत हुई।
2. टेढ़ी बगिया निवासी युवक दादा के इलाज के लिए भटकता रहा। दादा ने बाद में दम तोड़ दिया।
3. ट्रांस यमुना स्थित अस्पताल में महिला की इलाज नहीं मिलने से जान गई।
4. अर्जुन नगर स्थित एक अस्पताल में प्रसूता को भर्ती नहीं करने पर उसके गर्भस्थ शिशु की मौत हो गई।
5. छीपीटोला के औलिया रोड निवासी जूता कारीगर लाखन के 12 वर्षीय बेटे की मौत हुई थी। उसे भी इलाज नहीं मिला।