ATN:
नई दिल्ली. सुरक्षा बलों ने जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) में हिजबुल मुजाहिद्दीन (Hizbul Mujahideen) के कमांडर आतंकी रियाज नाइकू (Riyaz Naikoo) को मार गिराया है. वह 8 साल से फरार था और उस पर 12 लाख रुपये का इनाम भी था. लेकिन क्या आपको पता है उसके खात्मे के पीछे देश के जेम्स बॉन्ड कहे जाने वाले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजित डोभाल (Ajit Doval) का एक अभियान है. अजित डोभाल के 'ऑपरेशन जैकबूट' नामक अभियान के तहत ही घाटी में आतंक फैलाने वाला आतंकी बुरहान वानी भी मारा गया था.
सूची में आखिरी नाम था रियाज नाइकू
समाचार एजेंसी आईएएनएस के मुताबिक, एनएसए अजित डोभाल ने घाटी में आतंकी फैलाने वाले बड़े आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन जैकबूट शुरू किया था. इसमें बुरहान वानी का भी नाम था. रियाज नाइकू का नाम इस सूची में आखिरी था. नाइकू ऑपरेशन जैकबूट की लिस्ट का आखिरी बड़ा आतंकवादी था, जिसे सुरक्षाबलों ने बुधवार को मार गिराया.
डोभाल के ऑपरेशन जैकबूट में थे बड़े आतंकियों के नाम
एनएसए अजित डोभाल ने आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन जैकबूट उस समय लॉन्च किया था, जब जम्मू और कश्मीर के पुलवामा, कुलगाम, अनंतनाग और शोपियां में आतंकियों की ओर से 'आजाद इलाका' घोषित किया जाने लगा था. इसमें बुरहान वानी के ग्रुप में कई आतंकी शामिल थे. इनमें सबजार भट्ट, अफाकुल्लाह, आदिल खांडे, सद्दाम पद्दार, वसीम माला, नसीर पंडित, इशफाक हमीद, तारिक पंडित, वसीम शाह और अनीस जैसे कई कश्मीरी थे. इन सभी ने मिलकर कश्मीर में आतंकी गतिविधियों को तेज करने की साजिश रचनी शुरू कर दी थी.
कश्मीरी युवा बन रहे थे आतंकी
उस समय जम्मू-कश्मीर के कई पढ़े-लिखे युवा आतंक की राह चुनने लगे थे. यह उनका मकसद बनता जा रहा था. ये सभी आतंकी स्थानीय पुलिसकर्मियों को टॉर्चर करने लगे, उनके परिवारों को तंग करने लगे और कई बार उन्हें मार भी दिया जाता था, ताकि वो आतंकवादी अभियानों में हिस्सा ना ले सकें. बुरहान का यह ग्रुप कई बार अलग-अलग गावों में बिना किसी डर के पार्टियां मनाने लगा था. ग्रुप ने मुखबिरों की ताकतवर फौज खड़ी कर ली थी. ये आतंकी स्थानीय लोगों के बीच में ही पले-बढ़े थे, इसलिए लोग उनकी मदद करते थे.
डोभाल ने अपने 'आंख-कान' की ली मदद
पाकिस्तान समर्थित कश्मीरी युवाओं के आतंकवादी संगठनों में शामिल होने से डोभाल थोड़े चिंतित तो जरूर हो रहे थे, लेकिन उन्हें अपनी रणनीति और सुरक्षा बलों की क्षमता पर पूरा भरोसा था. डोभाल को इन चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों से निपटने के लिए कड़ा और बड़ा कदम उठाने की जरूरत महसूस हुई. डोभाल ने इसके लिए कश्मीर में अपने 'आंख-कान' कहे जाने वाले सोर्स का सहारा लिया. डोभाल के इन 'आंख-कान' के बारे में सुरक्षा बलों को भी ज्यादा पता नहीं होता है. इंटेलिजेंस सर्किल में इन्हें 'डोभाल साहब के ऐसेट्स' कहा जाता है.
डोभाल ने ही तैयार किया ऑपरेशन का खाका
डोभाल ने इन ऐसेट्स की बदौलत ऑपरेशन जैकबूट का खाका तैयार किया और उसे अंजाम तक पहुंचाने में जुट गए. ऑपरेशन के तहत मार गिराए जाने वाले आतंकवादियों की लिस्ट में बुरहान के इन 10 साथियों को भी शामिल किया गया, जो 10 साथियों से घिरे बुरहान वानी की वायरल हुई तस्वीर में भी नहीं दिखे थे. जैसे कि हिजबुल का टॉप कमांडर लतीफ टाइगर जो बुरहान का बेहद करीबी था, लेकिन वायरल पिक्चर में वह कहीं नहीं था. 3 मई, 2019 को टाइगर समेत तीन आतंकवादी मार गिराए गए थे. उससे पहले बुरहान वानी को 8 जुलाई, 2016 को ही दुनिया से विदाई दी जा चुकी थी.
इजरायल जैसा था अभियान
डोभाल का यह 'ऑपरेशन जैकबूट' भी इजरायली सरकार के 'ऑपरेशन रैथ ऑफ गॉड' जैसा ही था. इजरायली सरकार ने म्यूनिक में आयोजित 1972 के समर ओलिंपिक में मारे गए अपने लोगों की मौत का बदला लेने के लिए फलस्तीनी लिबरेशन ऑर्गनाइजेशन (PLO) के खिलाफ यह बेहद रहस्यमयी अभियान छेड़ा था. डोभाल ने भी इजरायली सरकार की तर्ज पर उन सभी कश्मीरी आतंकवादियों के खात्मे की रूपरेखा तैयार कर दी.