ATN:मध्य प्रदेश में सत्ता गंवाने के बाद अब उपचुनाव में मजबूती से उतरने के लिए कांग्रेस ने कमर कस ली है. 6 पूर्व मंत्री सहित 22 बागी विधायकों ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था. जिसके चलते कमलनाथ को सत्ता से हाथ धोना पड़ा है. इसी के चलते कांग्रेस ने बागियों में सबसे पहले 6 पूर्व मंत्रियों की घेराबंदी करने की रणनीति बनाई है. कांग्रेस इन 6 बागी मंत्रियों के सामने मजबूत कैंडिडेट की तलाश शुरू कर दी है ताकि बगावत का हिसाब बराबर हो सके.
बता दें कि सिंधिया के समर्थक जिन 22 विधायकों ने इस्तीफा देकर बीजेपी का दामन थामा था, उनमें 6 मंत्री भी शामिल थे. गोविंद सिंह राजपूत, तुलसी सिलावट, इमरती देवी, प्रद्युम्न सिंह तोमर, महेंद्र सिंह सिसोदिया और प्रभु राम चौधरी ऐसे नाम हैं. शिवराज सिंह चौहान की पहली कैबिनेट में गोविंद सिंह राजपूत और तुलसी सिलावट को मंत्री के तौर पर शामिल किया गया है जबकि बाकी पूर्व मंत्रियों को भी आगे कैबिनेट में जगह मिलने की संभावना है. हालांकि, इन सारे नेताओं को 6 महीने के अंदर विधानसभा का सदस्य बनना जरूरी है. वहीं, कांग्रेस इन बागी मंत्रियों के सामने मजबूत प्रत्याशी उतारकर उपचुनाव में मात देना चाहती है.
तुलसीराम सिलावट: 2018 के विधानसभा चुनवा में सांवेर सीट पर तुलसी सिलावट ने बीजेपी के राजेश सोनकर को करीब 3000 वोटों से हराया था. समीकरण ऐसा बदला कि सिलावट शिवराज सरकार में मंत्री हैं और बीजेपी से उपचुनाव में उतरेंगे. ऐसे में सिलावट के खिलाफ कांग्रेस ने ताकतवर प्रत्याशी उतारने के लिए कमर कस ली है. सूत्रों की माने तो सिलावट के सामने सांवेर विधानसभा सीट से पुराने कांग्रेस नेता और वर्तमान में बीजेपी से जुड़े प्रेमचंद गुड्डू के नाम को लेकर मंथन चल रहा है. इस सीट पर कांग्रेस को जिताने की जिम्मेदारी जीतू पटवारी को सौंपी गई है.
प्रद्युम्न सिंह तोमर: 2018 के विधानसभा चुनाव में ग्वालियर सदर सीट पर प्रद्युम्न तोमर ने 92,055 वोट हासिल कर बीजेपी के जयभान सिंह पवैया को हराया था. 15 महीने के बाद समीकरण बदल गया है. कांग्रेस इस सीट पर मजबूत कैंडिडेट की तलाश में है. इस सीट पर सुनील शर्मा और संत कृपाल सिंह के नाम को लेकर चर्चा हो रही है. संत कृपाल दिग्विजय सिंह के करीबी माने जाते हैं और उन्हें राजपूत समाज के संत के तौर पर भी जाना जाता है.
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इमरती देवी: डबरा विधानसभा सीट पर बीजेपी की लहर में भी कांग्रेस का कब्जा रहा है. 2018 के चुनाव में डबरा सीट से इमारती देवी ने बीजेपी के प्रत्याशी कप्तान सिंह को 57,486 वोट से हराया था. बदली सियासी परिस्थतियों में इमरती देवी को घेरने के लिए कांग्रेस बसपा से आए सत्यप्रकाशी परसेडिया पर दांव खेलना का मन बना रही है. इससे पहले भी 2013 में उन्होंने इमरतीदेवी को कड़ी टक्कर दी थी.
गोविंद सिंह राजपूत: सागर जिले की सुरखी विधानसभा सीट पर 2018 के चुनाव में गोविंद सिंह राजपूत ने बीजेपी के सुधीर यादव को हराया था. 15 महीने के बाद अब समीकरण बदल गया है. गोविंद सिंह राजपूत बीजेपी धामन थाम चुके हैं और शिवराज सरकार में मंत्री है. ऐसे में कांग्रेस के लिए कैंडिडेट के चयन की जिम्मेदारी डॉ. गोविंद सिंह और अशोक सिंह के कंधों पर है.
महेंद्र सिंह सिसोदिया: 2018 के विधानसभा चुनाव में बमोरी सीट पर महेंद्र सिंह सिसोदिया ने बीजेपी के बृज मोहन सिंह को 28,000 वोटों से हराया था. इस तरह से प्रभु राम चौधरी ने सांची सीट पर गौरीशंकर शेजवार को 10,000 वोटों से हराया था. कांग्रेस ने इन दोनों सीटों पर मजबूत कैंडिडेट को लेकर मंथन शुरू कर दिया है. इन सीटों की जिम्मेदारी खुद पूर्व सीएम कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के कंधों पर है. इसके अलावा अजय सिंह को भी पार्टी ने लगा रखा है.