ATN:महाराष्ट्र पहले से ही कोरोना के संकट से घिरा है लेकिन अब यहां राजनीतिक संकट की स्थिति भी पैदा हो गई है. महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे की कुर्सी पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं. क्योंकि, सीएम पद की शपथ लेने के बाद 6 महीने के अंदर विधानमंडल का सदस्य होना जरूरी होता है. लेकिन सीएम ठाकरेके साथ ये अब तक नहीं हो पाया है. वहीं, चुनाव आयोग ने कोरोना संकट की वजह से सारे चुनाव अनिश्चित समय के लिए टाल दिए हैं. ऐसे में उद्धव ठाकरे की कुर्सी बचाने के लिए महाविकास अघाड़ी प्लान-बी की तैयारी में है.
उद्धव ठाकरे ने पिछले साल नवंबर में सीएम पद की शपथ ली थी और मई में 6 महीने की मियाद पूरी होने जा रही है. विधानमंडल का सदस्य होना जरूरी है, इसके लिए पहला विकल्प है कि उन्हें राज्यपाल कोटे की सीट से विधानमंडल का सदस्य बनाया जाए. इसके लिए कैबिनेट राज्यपाल से सिफारिश भी कर चुका है लेकिन अब तक इस पर राज्यपाल ने कोई फैसला नहीं लिया है.
इस बीच ये भी बात सामने आई कि, महाराष्ट्र में पैदा हुई राजनीतिक संकट को लेकर सीएम उद्धव ठाकरे ने पीएम मोदी से फोन पर बात की है. उन्हें स्थितियों से अवगत कराते हुए मदद की गुजारिश की है. लेकिन खबर है कि इससे कोई बात नहीं बन पायी है.
क्या है महाविकास अघाड़ी का प्लान बी?
महाविकास अघाड़ी सरकार जल्द ही चुनाव आयोग से महाराष्ट्र विधानपरिषद के चुनाव को स्पेशल केस के तौर पर कराने की गुजारिश करेंगे. इसके साथ ही वो कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाने की तैयारी में हैं, कोर्ट से गुजारिश की जाएगी की वे राज्यपाल से अपना फैसला जल्द लेने को कहें, साथ ही अगर चुनाव आयोग भी किसी तरह का फैसला नहीं लेता है तो कोर्ट से आदेश की गुहार लगाएंगे.
विधानमंडल सदस्य चुनने का राज्यपाल के पास विशेष अधिकार
आर्टिकल 171(5) के मुताबिक, राज्यपाल स्पेशल नॉलेज या प्रैक्टिकल एक्सपीरियंस वाले व्यक्ति को विधानपरिषद सदस्य नियुक्त कर सकते हैं. जैसे की लिटरेचर, विज्ञान, कला और सहकारिता क्षेत्र या सामाजिक क्षेत्र में काम करने वाले व्यक्ति को.
सीएम उद्धव ठाकरे एक वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर हैं ऐसे में राज्यपाल के कोटे के लिए वो फिट हो सकते है. लेकिन कुछ लोगों का कहना है कि फोटोग्राफी आर्ट में नहीं आती ये प्रोफेशनल काम है?
1961 में इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक फैसले के मुताबिक, राजनीति सोशल सर्विस के तहत आती है. ऐसे में उद्धव ठाकरे को इसके तहत नियुक्त किया जा सकता है.
वहीं, आर्टिकल 163(1) में साफ लिखा है की राज्यपाल को हर हाल में कैबिनेट की सिफारिश मानना अनिवार्य है.
लेकिन आर्टिकल 162 कहता है कि, केवल कार्यकारी मामले में राज्यपाल को कैबिनेट की सिफारिश माननी है और नियुक्ति का मामला कार्यकारी मामले में नहीं आता. लिहाजा राज्यपाल अपना फैसला ले सकते हैं.
उद्धव ठाकरे के पास 28 मई तक का समय
उद्धव ठाकरे के पास 28 मई तक का समय है इससे पहले उन्हें विधानमंडल का सदस्य बनना जरूरी है. अगर ऐसा नहीं होता है तो उन्हें सीएम की कुर्सी से इस्तीफा देना होगा. इस सूरत में महाराष्ट्र कैबिनेट भी भंग हो जाएगा और महाविकास अघाड़ी को फिर से अपना नेता चुनना होगा.
कौन हो सकता है सीएम?
अगर उद्धव ठाकरे को सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा तो ऐसे में महाविकास अघाड़ी से अगला सीएम कौन होगा इस पर भी विचार किया जा रहा है. सूत्रों के मुताबिक, शिवसेना सुभाष देसाई, एकनाथ शिंदे और आदित्य ठाकरे का नाम आगे बढ़ा सकती है. वहीं, एनसीपी नेता अजित पवार का भी नाम सामने आ रहा है. बताया जा रहा है कि विकल्प के तौर पर सीएम पद के लिए एनसीपी और शिवसेना के बीच बात चल रही है. कांग्रेस ने इस मामले में खुद को दूर रखा है. वहीं, कोरोना संकट को देखते हुए शरद पवार को भी सीएम बनाया जा सकता है, क्योंकि महाराष्ट्र जिस संकट में फंसी है उसमें एक अनुभवी सीएम का होना जरूरी है.