ATN:लॉकडाउन में फंसे प्रवासी मजदूरों की घरवापसी के दौरान रेलवे किराया वसूली का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. विपक्ष के नेताओं जैसे सोनिया, राहुल और तेजस्वी की जुबानी पॉलिटिक्स के बीच आज भारतीय रेलवे ने सफाई दी है. रेलवे ने कहा है कि वह प्रवासी मजदूरों को कोई टिकट नहीं बेच रहा है. वहीं, रेलवे राज्य सरकारों से इस वर्ग के लिए केवल मानक किराया वसूल रहा है जो कुल लागत का महज 15% है.
मंत्रालय ने अपनी सफाई में कहा भारतीय रेलवे प्रवासी मजदूरों के टिकट के लिए सामान्य चार्ज वसूल रही है, वो भी राज्य सरकार से सिर्फ 15 फीसदी ही लिए जा रहे हैं. रेलवे की ओर से कोई टिकट नहीं बेची जा रही है, सिर्फ उन्हीं यात्रियों को ट्रेनों में बैठाया जा रहा है जिनकी जानकारी राज्य सरकारें दे रही हैं
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Railways is charging only standard fare for this class from State Governments which is just 15% of the total cost incurred by Railways. Railways is not selling any tickets to migrants and is only boarding passengers based on lists provided by States: Railway Ministry Sources https://twitter.com/ANI/status/1257178231968428034 …
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Indian Railways is running Shramik special trains keeping berths empty in each coach to maintain social distancing. The trains are returning empty from destinations under lock & key. Free food and bottled water is being given to migrants by railways: Railway Ministry Sources
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10:52 AM - May 4, 2020
रेलवे ने कहा कि सोशल डिस्टेंसिंग के कारण एक कोच में कई सीटें खाली रही रहीं हैं, साथ ही वापसी में पूरी ट्रेन खाली आती है. इसके साथ ही ट्रेन में सवार लोगों को मुफ्त भोजन और पानी भी दिया जाता है. साथ ही कहा कि 34 श्रमिक स्पेशल ट्रेंने चलायीं जा रही हैं. रेलवे इस बात का पूरा ख्याल रख रही है कि संकट की इस घड़ी में देश भर में कहीं भी गरीबों को कई परेशानी नहीं हो. रेलवे के सूत्रों का कहना है कि प्रवासी मजदूरों की यात्रा पहले ही सब्सिडी पर थी. केंद्र की ओर से ही मजदूरों की स्क्रीनिंग, डॉक्टर, सुरक्षा, रेलवे स्टाफ का खर्च किया जा रहा है. राज्य सरकारें किराए का 15 फीसदी भार उठा रही हैं, मध्य प्रदेश की सरकार ने ऐसा किया है.
बता दें कि रेलवे किराया वसूली को लेकर देश में राजनीति तेज हो गयी जब सोशल मीडिया पर टिकटों की तस्वीरें साझा होनी शुरू हो गयी. सोमवार सुबह कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने ये ऐलान कर दिया कि मजदूरों का रेलवे किराया कांग्रेस वहन करेगी. इसके साथ ही सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर कई आरोप लगाए. बिहार राजद के नेता तेजस्वी यादव ने भी बिहार के मजदूरों का किराया चुकाने का ऐलान किया. इन सब के बीच ही रेलवे ने अपनी सफाई जारी कर दी और कहा कि मजदूरों से पैसा नहीं लिया जा रहा.
भूखे-प्यासे मजदूरों से किराया वसूलना कैसी नैतिकता?
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) नेता और राज्यसभा सदस्य सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि भूखे-प्यासे प्रवासी मजदूरों को लाने के लिए रेल किराया वसूलना भारत सरकार की कैसी नैतिकता है. विदेशों में फंसे भारतीयों को एयर इंडिया द्वारा मुफ्त में लाया गया था. सुब्रमण्यम स्वामी ने अपने ट्वीट में कहा कि अगर रेलवे ने खर्च उठाने से इनकार कर दिया तो पीएम केअर्स के जरिए भुगतान क्यों नहीं किया? स्वामी से पहले कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने मामला उठाया था. उन्होंने कहा था कि एक तरफ रेलवे मजदूरों से टिकट का भाड़ा वसूल रही है वहीं दूसरी तरफ रेल मंत्रालय 151 करोड़ रुपए का चंदा दे रहा है.